वर्णमाला
वर्ण
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]अंगिका भाषा (Angika Language) की उस सबसे छोटी या लघुतम इकाई को वर्ण कहते हैं, जिसे और खंडित नहीं किया जा सकता है । वस्तुतः किसी भी भाषा को बोलने के लिए प्रयुक्त होने वाली उस मूल ध्वनि को ही वर्ण कहते हैं जिसे और तोड़ा नहीं जा सकता ।
अंगिका वर्णमाला (Alphabet)[१]
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]किसी भी भाषा के वर्णों के उस समूह को वर्णमाला कहते हैं, जिसमें उस भाषा में प्रयुक्त होने वाले सारे स्वर व व्यंजन व्यवस्थित क्रम से लिखे होते हैं । अंगिका वर्णमाला में निम्नलिखित वर्णों के समावेश हैं -
स्वर (Vowels)
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]स्वरों के भेद (Kinds of Vowels)
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]सामान्य स्वर :
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः
विशेष अ स्वर :
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]अऽ - वर्तुल अ या दीर्घ विलंबित अर्द्ध विवृत पश्च स्वर (अवग्रह)
अ॑ - प्रश्लेष अ या दीर्घ अर्द्धसंवृत मध्य
विशेष आ स्वर :
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]ऑ - अर्द्ध विवृत पश्च स्वर
आ॑ - प्रश्लेष आ या अर्द्धसंवृत दीर्घ मध्य स्वर
स्वरों की मात्राएँ
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]शब्द निर्माण की प्रक्रिया में जब किसी स्वर का प्रयोग किसी व्यंजन के साथ मिलाकर किया जाता है, तो स्वर का स्वरूप बदल जाता है । स्वर के इस बदले हुए स्वरूप को ही मात्रा कहते हैं ।
अंगिका के स्वरों की मात्राएँ निम्नलिखित हैं ।
अ - कोई मात्रा नहीं
आ - ा
इ - ि
ई - ी
उ - ु
ऊ - ू
ए - े
ऐ - ै
ओ - ो
औ - ौ
अं - ं
अः - ः
अऽ - ़ऽ
अ॑ - ॑
ऑ - ॉ
आ॑ - ा ॑
व्यंजन (Consonants)
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]क वर्ग - क् ख् ग् घ् ङ्
च वर्ग - च् छ् ज् झ् ञ्
ट वर्ग - ट् ठ् ड् ढ् ड़ ढ़
त वर्ग - त् थ् द् ध् न्
प वर्ग - प् फ् ब् भ् म्
अंतःस्थ - य् र् ल् व्
उष्म व्यंजन - श् ष् स् ह्
संयुक्त व्यंजन - क्ष त्र ज्ञ श्र
सरलीकृत अंगिका : टाइपिंग / लेखन हेतु
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]लेखन व टाइपिंग में सहूलियत की दृष्टि से निम्नांकित तरीके से सरलीकृत अंगिका का उपयोग करते हैं :
(i) अ॑ की जगह पर सिर्फ अ की मात्रा का प्रयोग करते हैं । उदाहरण : (हिन्दी : पैदल चल कर जाएँगें ) को अंगिका भाषा में इस प्रकार से लिख सकते हैं : : बूली क' जैबै की जगह पर बूली क जैबै
(ii) अऽ की जगह पर औ की मात्रा का उपयोग करते हैं । उदाहरण: (हिन्दी : खाना खाने के लिए चलो ) को अंगिका भाषा में इस प्रकार से लिख सकते हैं : खाना खाय ल' चलऽ की जगह पर खाना खाय ल चलौ
वर्ण-संयोग
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]एक वर्ण के दूसरे वर्ण से मिलने को वर्ण-संयोग कहते हैं । अर्थात जब एक से अधिक वर्ण आपस में मिलते हैं तो वह वर्ण-संयोग कहलाता है ।
स्वरों की सहायता के बगैर व्यंजनों का उच्चारण नहीं किया जा सकता । किसी भी व्यंजन के साथ 'अ' स्वर की ध्वनि या किसी स्वर की मात्रा जुड़ी रहती है । यदि किसी व्यंजन में स्वर मिला हुआ नहीं है, तो उसके नीचे हलंत (्) लगता है ।
क = क् + अ
ख = ख् + अ
लू = ल् + ऊ
रो = र् + ओ
(१) व्यंजन और स्वर का संयोग - जब किसी व्यंजन में स्वर मिलता है तो यह व्यंजन और स्वर का संयोग कहलाता है ।
नीचे सभी व्यंजन, मात्राओं के साथ दिए गए हैं । खुद लिखकर, मात्राओं को लगाकर, उच्चारण करते हुए अभ्यास करें -
अ आ अऽ अ॑ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ ऑ अं अः
क का कऽ क॑ कि की कु कू के कै को कौ कॉ कं कः
ख खा खऽ ख॑ खि खी खु खू खे खै खो खौ खॉ खं खः
ग गा गऽ ग॑ गि गी गु गू गे गै गो गौ गॉ गं गः
घ घा घऽ घ॑ घि घी घु घू घे घै घो घौ घं घः
च चा चऽ च॑ चि ची चु चू चे चै चो चौ चं चः
छ छा छऽ छ॑ छि छी छु छू छे छै छो छौ छं छः
ज जा जऽ ज॑ जि जी जु जू जे जै जो जौ जं जः
झ झा झऽ झ॑ झि झी झु झू झे झै झो झौ झं झः
ट टा टऽ ट॑ टि टी टु टू टे टै टो टौ टं टः
ठ ठा ठऽ ठ॑ ठि ठी ठु ठू ठे ठै ठो ठौ ठं ठः
ड डा डऽ ड॑ डि डी डु डू डे डै डो डौ डं डः
ढ ढा ढऽ ढ॑ ढि ढी ढु ढू ढे ढै ढो ढौ ढं ढः
त ता तऽ त॑ ति ती तु तू ते तै तो तौ तं तः
थ था थऽ थ॑ थि थी थु थू थे थै थो थौ थं थः
द दा दऽ द॑ दि दी दु दू दे दै दो दौ दं दः
ध धा धऽ ध॑ धि धी धु धू धे धै धो धौ धं धः
न ना नऽ न॑ नि नी नु नू ने नै नो नौ नं नः
प पा पऽ प॑ पि पी पु पू पे पै पो पौ पं पः
फ फा फऽ फ॑ फि फी फु फू फे फै फो फौ फं फः
ब बा बऽ ब॑ बि बी बु बू बे बै बो बौ बं बः
भ भा भऽ भ॑ भि भी भु भू भे भै भो भौ भं भः
म मा मऽ म॑ मि मी मु मू मे मै मो मौ मं मः
य या यऽ य॑ यि यी यु यू ये यै यो यौ यं यः
र रा रऽ र॑ रि री रु रू रे रै रो रौ रं रः
ल ला लऽ ल॑ लि ली लु लू ले लै लो लौ लं लः
व वा वऽ व॑ वि वी वु वू वे वै वो वौ वं वः
श शा शऽ श॑ शि शी शु शू शे शै शो शौ शं शः
ष षा षऽ ष॑ षि षी षु षू षे षै षो षौ षं षः
स सा सऽ स॑ सि सी सु सू से सै सो सौ सं सः
ह हा हऽ ह॑ हि ही हु हू हे है हो हौ हं हः
(२) व्यंजन का व्यंजन से संयोग - जब व्यंजन के साथ व्यंजन का संयोग होता है तो उसे व्यंजन का व्यंजन से संयोग कहते हैं । जब किसी व्यंजन में स्वर नहीं मिला होता है तो वह व्यंजन दूसरे व्यंजन के साथ जुड़ता है । व्यंजनों के आपस में संयोग के दो रूप देखने को मिलते हैं ।
संयुक्त-व्यंजन
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]जब दो या दो से अधिक स्वर रहित व्यंजन आपस में मिलते हैं, तो उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं । इसके दो रूप हैं -
(क) इनका उच्चारण एक झटके में अन्य वर्णों की तरह होता है । वर्णमाला में इनके लिए विशेष चिन्ह हैं -
श्र = श् + र, क्ष = क्� + ष , त्र = त् + र, ज्ञ = ज् + ञ
(ख) इनका उच्चारण एक झटके में भी होने पर उच्चारण में स्पष्टता होती है ।
प्यारा = प् + य् + आ + र् + आ में प और य व्यंजनों का संयोग ।
इच्छा = इ + च् + छ् + आ में च और छ व्यंजनों का संयोग ।
द्वित्व-व्यंजन
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ](क) जब किसी व्यंजन का संयोग उसी व्यंजन के साथ होता है तो वे द्वित्व व्यंजन कहलाते हैं ।
गढ्ढा = ग्+अ+ढ्+ढ्+आ में ढ्��� का ढ् व्यंजन से संयोग ।
पन्ना = प+न्+न्+आ में न्�� का न् व्यंजन से संयोग ।
झग्गर = झ्+अ+ग्+ग्+र्+अ में ग् का ग् व्यंजन से संयोग ।
(ख) महाप्राण व्यंजनों (ख्,घ्,छ्,झ्,थ्,ध्,फ्,भ्,स्,ह्) का कभी द्वित्व नहीं होता । इनके संयोग में पूर्व व्यंजन अल्पप्राण होता है ।
मच्छर = म्+अ+च्+छ्+र+अ में महाप्राण छ् का अल्पप्राण च् व्यंजन से संयोग ।
मक्खर = म्+अ+क्�+ख्+र+अ में महाप्राण ख् का अल्पप्राण क् व्यंजन से संयोग ।
वाक्य संरचना
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]| English | Hindi | Standard Angika | Simplified Angika |
|---|---|---|---|
| I will go to sleep after eating. | मैं खाकर सोने के लिए जाऊँगा । | हम्मं॑ खाय क' सूतै ल' जैबै । | हम्में खाय क सूतै ल जैबै । |
| Your book is good. | तुम्हारी किताब अच्छी है । | तोरऽ किताब बढ़ियां छै । | तोरौ किताब बढ़ियां छै । |
| Let's walk to school. | चलो पैदल चलकर स्कूल जाते हैं । | चलऽ बूली क' इसकूल जैबै । | चलौ बूली क इसकूल जैबै । |